सिर्फ अखिलेश से मिले आजम खां, सांसद नदवी को 70 किमी दूर बरेली में ही रोका

रामपुर: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और वरिष्ठ नेता आजम खां की बुधवार को पहले जोहर यूनिवर्सिटी फिर आजम के आवास पर मुलाकात ने सियासी हलचल तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में आजम खां का दबदबा साफ नजर आया। खास बात यह रही कि सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी जिन्हें भी मुलाकात में शामिल होना था, उन्हें बरेली में ही रोक दिया गया, यानी वे रामपुर से करीब 70 किलोमीटर पहले ही रुक गए।

संगठन और आगामी चुनाव रणनीति पर हुई चर्चा
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के अंदरुनी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए साांसद नदवी को बैठक स्थल तक न जाने की सलाह दी गई। वहीं, आजम खां और अखिलेश यादव के बीच हुई बंद कमरे की इस बातचीत में संगठन और आगामी चुनावी रणनीति से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान रामपुर की सियासत और पार्टी की स्थानीय स्थिति पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नदवी को रोकने का निर्णय इस बात का संकेत है कि रामपुर में अभी भी आजम खां का राजनीतिक प्रभाव बरकरार है। अखिलेश यादव की यह यात्रा एक ओर जहां आजम खां के प्रति सम्मान का प्रतीक मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर सत्ता-संतुलन की नई दिशा भी दिखा रही है। मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने मीडिया से दूरी बनाए रखी, जबकि आजम खां ने भी कोई बयान देने से इनकार किया।

आजम को इसलिए पसंद नहीं नदवी
आजम की नाराजगी की वजह साफ है। जब आजम जेल में थे, तब नदवी ने एक बयान दिया था कि “आजम सुधार गृह गए हैं, सुधर कर आएंगे।” इस बयान ने आजम को गहरी ठेस पहुंचाई। नदवी ने सांसद बनने के बाद भी आजम के परिवार से कोई संपर्क नहीं किया। आजम की पत्नी तंजीन फातिमा और बेटा अब्दुल्ला जेल से रिहा होने के बाद रामपुर में ही हैं, लेकिन नदवी ने कभी उनके साथ रिश्तों की जमी बर्फ पिघलाने की कोशिश नहीं की। आजम ने तो मीडिया से बात करते हुए साफ कह दिया, “मैं नदवी को नहीं जानता। उनसे कभी मुलाकात नहीं हुई। वह मस्जिद के इमाम हैं, सम्मान के काबिल हैं, लेकिन मेरा उनसे कोई लेना-देना नहीं।”

आजम के सियासी घरौंदे पर नदवी ने किया कब्जा
सियासी जानकारों का मानना है कि आजम की नाराजगी की एक और बड़ी वजह है। रामपुर आजम का सियासी घरौंदा है, जिस पर नदवी ने कब्जा कर लिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में आजम जेल में थे और परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ सका। ऐसे में आजम ने अखिलेश को रामपुर से चुनाव लड़ने का न्योता दिया था। उन्हें लगता था कि अखिलेश के जरिए वह अपना सियासी गढ़ वापस ले सकेंगे। लेकिन नदवी के आने से उनकी ये रणनीति धरी की धरी रह गई।

सपा मुखिया ने जीता आजम का दिल
अखिलेश यादव रामपुर में आजम की नाराजगी को समझते हुए आए थे। उन्होंने आजम को पूरा सम्मान दिया और उनकी सियासी अहमियत को सपा का “पेड़” बताकर उनकी तारीफ की। अखिलेश ने कहा, “इस पेड़ का साया हमेशा हमारे साथ रहा है।” इस मुलाकात में अखिलेश ने साफ कर दिया कि वह आजम के साथ अपने रिश्ते को और मजबूत करना चाहते हैं।

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