मझोला पुलिस की मनमानी, हादसे के 19 घंटे बाद हुआ गरीब श्रमिकों का पोस्टमार्टम

मजदूरी करके लौट रहे श्रमिकों की सोमवार शाम हादसे में चली गई थी जान, रात भर पोस्टमार्टम हाउस पर बिलखते रहे परिजन

सिस्टम की मनमानी ने गरीब परिवारों को दुख और बढ़ा दिया। पुलिस की मनमानी की वजह से गरीब श्रमिकों का पोस्टमार्टम हादसे के 19 घंटे बाद हो पाया। रातभर मृतकों के परिजन और रिश्तेदार पोस्टमार्टम हाऊस पर रोते बिलखते रहे और लाचारी में व्यवस्था को कोसते रहे।
सोमवार की शाम काम से लौटते समय नानकबाड़ी गांव के श्रमिक राजू व करन सिंह की बुद्धि विहार में गोल चक्कर के पास हुए हादसे में मौत हो गई थी।

मझोला थानाध्यक्ष कमलेश कांत वर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह चुनाव करा रहे हैं। वह भी पंचनामा के कागज पोस्टमार्टम हाऊस क्यों नही पहुंचे इसकी सही जानकारी नहीं दे पाए। उधर, दीवान सुखपाल सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि शाम छह बजे के बाद किसी भी शव का सामान्य परिस्थिति में पोस्टमार्टम नहीं होता है और डॉक्टर सुबह 10 बजे के बाद पहुंचते हैं। इसीलिए कागज नहीं भेजे गए थे, अब वह कुछ ही देर में पोस्टमार्टम हाउस पर कागज भेज रहे हैं।

मझोला थाने के दीवान के इस गैरजिम्मेदाराना व्यवहार ने पुलिस व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। पोस्टमार्टम हाउस पर सुबह 10.30 बजे तक भी पंचनामा के कागज नहीं पहुंचे थे। हादसे में मारे गए श्रमिक राजू और करन सिंह के परिजन अतर सिंह, सुशील, शिवम, आकाश, जय प्रकाश, राजेश पाल, जय, अशोक, तुलाराम, महिलपाल, रोहित, विजेंद्र, हंसराज, सूरज, विशाल समेत कई अन्य लोग रातभर पोस्टमार्टम हाऊस पर कागजों का इंतजार कर रहे थे।

मंगलवार की दोपहर 11.30 बजे पंचनामा के कागज पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। पोस्टमार्टम हाउस में डॉक्टर भी आ चुके थे। 12.20 बजे तक दोनों शवों का पोस्टमार्टम भी हो गया। इस तरह हादसे के 19 घंटे के बाद दोनों श्रमिकों के शवों के पोस्टमार्टम हो पाया। हर कोई व्यवस्था को कोसता रहा।

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