अमरोहा में कांग्रेस के दानिश अली को 28 हजार से अधिक मतों से शिकस्त, बिजनौर सीट पर रालोद के खाते में जाने से राहत
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी अपने गृह जनपद मुरादाबाद की लोकसभा सीट भी बचा पाए। मंडल में साइकिल सरपट दौड़ी। मंडल में सिर्फ कंवर सिंह तंवर ही अमरोहा से जीत दर्ज कर भाजपा की लाज बचाने में कामयाब रहे। छह में से तीन सीटों पर कब्जा जमाकर सपा ने मंडल में अपना दबदबा कायम रखा है।
वहीं मंडल की सियासत में पहली बार किस्मत आजमाने वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) का खाता खुल गया। भाजपा की सहयोगी रालोद भी मंडल में एक सीट जीतने में कामयाब रही। हालांकि 2019 के चुनाव में भाजपा का मंडल में सूपड़ा साफ हो गया था। जबकि बसपा का मंडल में खाता तक नहीं खुला। 2019 में भाजपा ने मंडल की बिजनौर सीट को छोड़कर बाकी पांच पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। बिजनौर सीट से भाजपा के सहयोगी दल रालोद का प्रत्याशी चुनाव मैदान में था।
इस बार अमरोहा सीट छोड़कर पांचों सीटों पर सपा चुनाव लड़ी। अमरोहा सीट कांग्रेस के खाते में थी। मंडल की छह सीटों में तीन चरणों में चुनाव हुए थे। मंगलवार को चुनाव परिणाम सामने आए। नगीना लोकसभा सीट को छोड़ दिया जाए तो बाकी पांच सीटों पर सपा-कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर देखने को मिली। सपा मुरादाबाद, रामपुर और संभल सीट बचाने में कामयाब रही। भाजपा मंडल की एक मात्र अमरोहा सीट ही जीत पाई। जबकि बिजनौर लोकसभा सीट पर भाजपा की सहयोगी दल रालोद ने बाजी मारी।
सुरक्षित सीट नगीना का परिणाम चौंकाने वाला रहा। यहां भाजपा और सपा के उम्मीदवारों को पछाड़ते हुए आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने धमाकेदार जीत दर्ज की। इसके विपरीत 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के पक्ष में एकतरफा मत पड़े थे। 2014 के चुनाव में भाजपा ने मंडल की सभी छह सीटों पर कब्जा जमाया था और विपक्षी दलों का खाता तक नहीं खुल सका था।
यही हाल 2019 के लोकसभा चुनाव में रहा। इस लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा मिलकर भाजपा का मंडल से सूपड़ा साफ कर दिया था। गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरे दोनों दलों ने मंडल की तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। सपा ने मंडल की मुरादाबाद, रामपुर व संभल सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि बसपा ने अमरोह, बिजनौर व नगीना सीट पर कब्जा जमाया था।