… क्या यूपी में दलितों को मिला नया मसीहा, आजाद की जीत ने बढ़ा दी BSP की टेंशन

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने मंडल में जीती थीं तीन सीटें, इस बार हो गया सूपड़ा साफ 

क्या यूपी में दलितों को उनका नया मसीहा मिल गया है। अब तक दलितों के वोटों पर एकाधिकार मानने वाली बहुजन समाज पार्टी को नगीना में चंद्रशेखर आजाद की जीत से बड़ा झटका लगा है। आजाद ने यहां जीत हासिल कर बसपा की टेंशन बढ़ा दी है। उन्होंने सीधे मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी के ओम कुमार को एक लाख से अधिक वोटों से शिकस्त दी। वहीं बसपा का मंडल से सूपड़ा साफ हो गया, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को तीन सीटें हासिल हुई थीं।

चंद्रशेखर आजाद ने कांशीराम को अपना आदर्श बनाया और अपनी पार्टी का नाम आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) रखा। वह मायावती के दलित वोट बैंक, जिस पर वह यूपी में अपना अधिकार रखने का दावा करती थीं, उसी में सेंध लगा दी। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिस सीट पर सबसे ज्यादा लोगों की निगाहें टिकी हुई थी, वह नगीना लोकसभा सीट थी। इस सीट पर भाजपा के ओम कुमार का सीधा मुकाबला आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के उम्मीदवार चंद्रशेखर आजाद से था।

वैसे आपको बता दें कि यह सीट इंडी अलायंस के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के हिस्से में आई थी और सपा ने इस पर अपनी पार्टी से मनोज कुमार को उम्मीदवार बनाया था। वहीं इस सीट पर बसपा ने भी सुरेंद्र पाल सिंह को रावण से मुकाबले के लिए उतारा था। आजाद के मुकाबले नगीना लोस सीट पर जोगेंद्र और संजीव कुमार दो स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। यहां इन दोनों स्वतंत्र उम्मीदवार को नोटा से भी कम वोट हासिल हुए।

जबकि, मायावती की पार्टी बसपा का उम्मीदवार चौथे और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे। चंद्रशेखर आजाद ने भाजपा के ओम कुमार को कड़ी टक्कर देते हुए इस सीट पर 1,51,473 से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। आपको बता दें कि इस सीट को लेकर सबसे दिलचस्प बात यह रही है कि इस सीट पर चंद्रशेखर आजाद ने न तो विपक्ष के इंडी गठबंधन के साथ लड़ना स्वीकार किया और ना ही बसपा के साथ वह मैदान में उतरने के लिए तैयार हुए।

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